सहिष्णुता हो जाये खत्म
यदि न्याय बाँटना हो जाये धर्म
कुरुक्षेत्र में मात्र छल का वध हो
और इस बार अपराजित रहे कर्ण
दुर्योधनों को न मिले राधेय कोई
यदि नफरत मनुष्यों में हो जाये खत्म
हैं रंग समान, हैं रक्त समान
है क्रोध समान, है प्रेम समान
जननी के सारे बालक भगवान
फिर कैसा हिन्दू, कैसा मुसलमान।
लेखक - पुनीत शर्मा
यदि न्याय बाँटना हो जाये धर्म
कुरुक्षेत्र में मात्र छल का वध हो
और इस बार अपराजित रहे कर्ण
दुर्योधनों को न मिले राधेय कोई
यदि नफरत मनुष्यों में हो जाये खत्म
हैं रंग समान, हैं रक्त समान
है क्रोध समान, है प्रेम समान
जननी के सारे बालक भगवान
फिर कैसा हिन्दू, कैसा मुसलमान।
लेखक - पुनीत शर्मा
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