Saturday, April 18, 2020



आज़ादी पर गर्व हमें भी
पर ये कैसी आजादी है 
जे एन यू  में भारत माँ के 
विरूद्ध नारे लगवाती है। 

भारत-प्रगति क्यों बाधित है 
इस पर शोध नहीं होता 
क्या विद्यालयों में राष्ट्र-भक्ति 
का कोई बोध नहीं होता। 

भारत माँ का झंडा जब 
पैरों के नीचे आता है 
और जहाँ अफजालों पर 
मार्च निकला जाता है। 

कई रातों तक दरिद्र कोई 
जहाँ पत्ते चाट कर सोता है 
भूख की खातिर कोई यहाँ 
जब बच्चे बेच कर रोटा है। 

जब नेता गरीबी के बदले
गरीब हटाने लग जाते हैं 
बी पी एल से सामान्य के                 
कार्ड बनाने लग जातें हैं। 

पकवानों के चक्कर में 
रोटी महंगी हो जाती है 
मृगतृष्णा बढ़ती हैं जब 
दया महंगी हो जाती है। 

सड़कों पर लुटती अस्मत
पर कोई शोर नहीं होता 
किसानो की आत्महत्या पर 
जब कोई रोष नहीं होता। 

जहाँ नेताओ को जन पीड़ा 
सुनने का शौक नहीं होता 
ऐसी आजादी पर हरषाने का 
मुझे कोई लोभ नहीं होता।

    ............ लेखक-पुनीत शर्मा।

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